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Murli Poem

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 बाबा आया है हमें ज्ञान रत्न देने

मुरली सुनाने

मुरली रोज़ पढ़नी

कभी भी मुरली मिस नहीं करनी

जिसे मुरली से प्यार

उसे ही मुरलीधर से प्यार अपार

हमारा बाप, सुप्रीम बाप, सुप्रीम टीचर, सुप्रीम सतगुरु है – यह बात सबको सुनानी

अल्फ़ और बे की पढ़ाई पढ़ानी

ज्ञान अर्थात् सृष्टि चक्र की नॉलेज को धारण कर स्वदर्शन चक्रधारी बनना

विज्ञान अर्थात् आवाज़ से परे शान्ति में जाना

जो देह भान से न्यारे

वो ही होते है परमात्म प्यारे

मेरा बाबा

ॐ शान्ति !!!