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Murli Poem

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 यह अनादि ड्रामा फिरता ही रहता

एक का पार्ट दूसरे से ना मिलता

ड्रामा को यथार्थ समझना

और सदा हर्षित रहना

सबको युक्ति से दो बाप का परिचय देना

एक हद का, दूसरा बेहद का बाप का बताना

इस समय ही बाप समान परफेक्ट बन पूरा वर्सा लेना

बाप की सब शिक्षाओं को स्वयं में धारण करना

बुद्धि को पारस बनाने के लिए पढ़ाई पर पूरा-पूरा ध्यान देना

निश्चयबुद्धि बन मनुष्य से देवता बनने का इम्तहान पास करना

अकल्याण के संकल्प को समाप्त करना

अपकारी पर भी उपकार करना

सर्व के प्रति कल्याण की भावना

यही है ज्ञानी तू आत्मा बनना

मेरा बाबा

ॐ शान्ति !!!