तुम यहां
याद में रहकर पाप दग्ध करने के लिए आये हो
बुद्धियोग सदा बाप से लगाने आए हो
अगर सूक्ष्म में भी है कोई विकार
वो अन्त में करेगा अत्याचार
बाप की याद में बैठते समय जरा भी बुद्धि इधर-उधर नहीं भटकानी
सदा कमाई जमा करते रहनी
परचिंतन नहीं करना
भोजन भी बाप की याद में खाना
बेहद की वैराग्य वृत्ति
जिसकी किसी में ना आसक्ति
क्रोध अग्नि रूप है जो खुद को भी जलाता
और दूसरों को भी जला देता
मेरा बाबा
ॐ शान्ति !!! |