**परमधाम**
नाम रूप से न्यारा कोई नही होता..?
एक ईश्वर से प्यारा कोई नही होता..?
बुलाते है जिसको आओ पावन बनाओं..
है कहीं रहता जभी अंगुली करती इशारा..
परमपिता कहते तो पिता का ठिकाना तो होगा..?
मुक्ति चाहते तो कहीं ले जाता तो होगा..?
छत्रछाया में हम रहते उनके तो छत्र जरुर होगा..?
सर्व व्यापी कह दिया तो बुलाते क्यों हो..?
स्वर्ग के गुणगान करते तो रचना करने वाला तो होगा..?
ब्रह्मलोक का रहने वाला ब्रह्मांड के मालिक
को मानते तो हो.? पुकारते तो हो..?
पर उनको जानते भी हो या नही..?
हर व्यक्ति पुशु पंछी का घर जरुर होता..?
परम पिता कहते तो कोई घर भी होगा, पार लोक
यानि लोकीक दुनिया से दूर...
पारलोकिक पिता का घर है परमधाम...
रहती हम आत्माए जहाँ उनके साथ..
है वो अलोकिक दुनिया कहते उसको ब्रह्मलोक
रहते जहाँ हमारे 'शिव पिता'कहते जिनको सब 'राम'
**ॐ शांति** |