***परमात्मा सर्व्यापी नही***
आम के बीज से अनार नही
उगता**
पक्षी की संतान पक्षी ही होती**
पशु भी पशु को ही जन्म देता**
मनुष्य भी मनुष्य को जन्मता**
जैसा बीज वैसा ही फल उगता**
फिर क्यों मनुष्य अलग अलग**
योनि में पुनर्जन्म ले कर आए**
कुत्ते बिल्ली में क्यों ले जन्म**
84 लाख योनि कहना है गलत**
आत्मा लेती केवल 84 जन्म**
आत्मा का पिता भी है आत्मा**
परम है पिता तो परमात्मा कहलाता**
गुण रूप में है वो एक समान**
हमको भी वैसा ही बनाता**
है वो ज्ञान का सिन्धु**
रूप में बिंदु , ज्ञान का सूर्य**
प्रेम शक्ति सुख शांति का सागर**
कैसे हमें वो दुःख दे सकता**
जो होगा वो ही तो देगा**
सुख करता दुःख हरता**
सर्व व्यापी हो न सके**
पिता पुत्र का नाता हमारा**
पुत्र पिता का पिता हो न सके**
आत्मा अलग है परम आत्मा से**
दोनों का है अलग अलग कर्त्तव्य**
समय अनुसार सब पार्ट बजाते**
संगम पर प्रभु अवतार लेते**
टीचर बन हमे सही राह देखाते**
सतगुरु बन सदगति दिलाते**
अंध श्रदा से अब निकलो भाई**
आत्मा हु तुम समझो भाई भाई**
ॐ शांति |