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Baba Poems

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                                                                              ****शांति****

शांति की खोज है सबको**

अशांति से हो गए बेहाल**

आत्मा हो गयी इससे कंगाल**

व्यक्ति वैभव संबंध संपर्क**

मिली न साधनों में कोई खुशयाली**

कोई न जनता मिलती कहाँ**

एक दुसरे से मांग रहे बन भिखारी**

सन्यासी भी न खोज इसको पाए**

जंगलो में जाकर लौट लौट आये**


आत्मा की जरुरत है शांति**

जैसे देह की जरुरत है भोजन**

एक मिनट की शांति को **

तरस गया यह मानव**

खुद को जब भुला दिया**

आत्मा हु यह भूल गया**

लुट गया इसका सारा खज़ाना**

दिया था जो संगम पर प्रभु ने**

शांति का है सागर शिव निराकार**

हम है उनकी संतान**


शांति है हमारा निज स्वधर्म**

भुला मानव किये जब विकर्म**

देह अभिमान में जब वो आया**

देवी देवताओं से लगा मांगने**

सुख शांति जो थी उसकी ही जागीर**

बन गया अपवित्र हो गया फ़क़ीर**

मर्यादाओं का लगा जो लंगाने**

सतोप्रधान से हुआ तमोप्रधान**

पतित हो लगा पुकारने**

पतितपावन आओ दुखों से छुड़ाओ**


आया गीता का भगवान्**

शिव बाबा है उनका नाम**

दिया उसने सच्चा गीता का ज्ञान**

मन्मनाभव का मंत्र सिखाया**

जन्म जन्मान्तर के पाप मिटाए**

वरसे में सुख शांति के वरदान दिए**

बाप बन प्यार लुटाया**

क्षमा शील हो हमें अपनाया**

टीचर बन धनवान बनाया**

सर्व गुणों से हमे सजाया**

सदगुरु बन मार्ग दर्शन किया**

अपने घर शांतिधाम को **

वापिस ले जाने आया**

मुक्ति और जीवन मुक्ति दे**

फिर अपने घर को लौट चला**


ॐ शांति !!