Home

Murli Poem

Contact Us


 तुम यहां याद में रहकर पाप दग्ध करने के लिए आये हो

बुद्धियोग सदा बाप से लगाने आए हो

अगर सूक्ष्म में भी है कोई विकार

वो अन्त में करेगा अत्याचार

बाप की याद में बैठते समय जरा भी बुद्धि इधर-उधर नहीं भटकानी

सदा कमाई जमा करते रहनी

परचिंतन नहीं करना

भोजन भी बाप की याद में खाना

बेहद की वैराग्य वृत्ति

जिसकी किसी में ना आसक्ति

क्रोध अग्नि रूप है जो खुद को भी जलाता

और दूसरों को भी जला देता

मेरा बाबा


ॐ शान्ति !!!