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Baba Poems

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***परमात्मा सर्व्यापी नही***

आम के बीज से अनार नही उगता**

पक्षी की संतान पक्षी ही होती**

पशु भी पशु को ही जन्म देता**

मनुष्य भी मनुष्य को जन्मता**

जैसा बीज वैसा ही फल उगता**

फिर क्यों मनुष्य अलग अलग**

योनि में पुनर्जन्म ले कर आए**

कुत्ते बिल्ली में क्यों ले जन्म**

84 लाख योनि कहना है गलत**

आत्मा लेती केवल 84 जन्म**

आत्मा का पिता भी है आत्मा**

परम है पिता तो परमात्मा कहलाता**

गुण रूप में है वो एक समान**

हमको भी वैसा ही बनाता**

है वो ज्ञान का सिन्धु**

रूप में बिंदु , ज्ञान का सूर्य**

प्रेम शक्ति सुख शांति का सागर**

कैसे हमें वो दुःख दे सकता**

जो होगा वो ही तो देगा**

सुख करता दुःख हरता**

सर्व व्यापी हो न सके**

पिता पुत्र का नाता हमारा**

पुत्र पिता का पिता हो न सके**

आत्मा अलग है परम आत्मा से**

दोनों का है अलग अलग कर्त्तव्य**

समय अनुसार सब पार्ट बजाते**

संगम पर प्रभु अवतार लेते**

टीचर बन हमे सही राह देखाते**

सतगुरु बन सदगति दिलाते**

अंध श्रदा से अब निकलो भाई**

आत्मा हु तुम समझो भाई भाई**


ॐ शांति