****शांति****
शांति की खोज है सबको**
अशांति से हो गए बेहाल**
आत्मा हो गयी इससे कंगाल**
व्यक्ति वैभव संबंध संपर्क**
मिली न साधनों में कोई खुशयाली**
कोई न जनता मिलती कहाँ**
एक दुसरे से मांग रहे बन भिखारी**
सन्यासी भी न खोज इसको पाए**
जंगलो में जाकर लौट लौट आये**
आत्मा की जरुरत है शांति**
जैसे देह की जरुरत है भोजन**
एक मिनट की शांति को **
तरस गया यह मानव**
खुद को जब भुला दिया**
आत्मा हु यह भूल गया**
लुट गया इसका सारा खज़ाना**
दिया था जो संगम पर प्रभु ने**
शांति का है सागर शिव निराकार**
हम है उनकी संतान**
शांति है हमारा निज स्वधर्म**
भुला मानव किये जब विकर्म**
देह अभिमान में जब वो आया**
देवी देवताओं से लगा मांगने**
सुख शांति जो थी उसकी ही जागीर**
बन गया अपवित्र हो गया फ़क़ीर**
मर्यादाओं का लगा जो लंगाने**
सतोप्रधान से हुआ तमोप्रधान**
पतित हो लगा पुकारने**
पतितपावन आओ दुखों से छुड़ाओ**
आया गीता का भगवान्**
शिव बाबा है उनका नाम**
दिया उसने सच्चा गीता का ज्ञान**
मन्मनाभव का मंत्र सिखाया**
जन्म जन्मान्तर के पाप मिटाए**
वरसे में सुख शांति के वरदान दिए**
बाप बन प्यार लुटाया**
क्षमा शील हो हमें अपनाया**
टीचर बन धनवान बनाया**
सर्व गुणों से हमे सजाया**
सदगुरु बन मार्ग दर्शन किया**
अपने घर शांतिधाम को **
वापिस ले जाने आया**
मुक्ति और जीवन मुक्ति दे**
फिर अपने घर को लौट चला**
ॐ शांति !! |